Category: My Poems

My Poems

बिहार की आवाज़

बिहार की आवाज़ आइए, हवा का रुख बदल दें कल ट्रेन भर – भर कर जाती थीं आज ट्रेन भर – भर कर आयी हैं और कल ट्रेन भर – भर कर जाएँगी पर उनमें अब लोग न होंगे होंगी केवल ज्ञान की पोटरियाँ अन्न, फल और सब्जियाँ अंडे, वस्त्र और मछलियाँ आइए, हवा का […]

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चर्मकार

हम चर्मकार हैं , दुनिया का दुःख दर्द मिटाते रहते हैं।                                          हम कर्मकार हैं , व्यर्थों में भी अर्थ ढूँढते रहते हैं तुम तो नर को कंधा देकर नामों निशाँ मिटा देतेपशुओं को कंधा दे […]

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सृजनवादी गीत

हम शिक्षु हैं सृजनवाद के हमें सदा ही बढ़ना है नई सोच और नई दिशाएँ हर दिन नित पल गढ़ना है देख के चीजें आस-पास की, हम इसकी पहचान करें क्या होता है, कैसे क्या हो, इसका हम अनुमान करें। उत्तर देते आये अब तक , प्रश्न हमें अब करना है। हम शिक्षु ————————————————– कण-कण […]

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सूर्य को अर्घ्य

– चार दिनों के कठोर तप के बाद गंगा के पानी में खड़ा होकर माँ ने छठ घाट पर सबको जब सूर्यदेव को अर्घ्य देने को कहा तो आधुनिक विज्ञान पढ़नेवाला ईश्वर विरोधी बच्चा चिल्लाया ‘नहीं देता अर्घ्य’ । उसने चुनौती के अंदाज में कहा हे सूर्यदेव, बताओ तुम्हें देव क्यों कहूँ ? क्यों करूँ […]

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सृजनगीत गाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ नव वर्ष में हम सृजनगीत गाएँ । हर क्षण नया हो हर पल नया हो सब कोई यहाँ तो सृजन कर रहा हो सृजन की तो ऐसी धारा बहाएँ सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ। हरेक व्यक्ति शिक्षु हरेक व्यक्ति शिक्षक लर्निंग समाज सृजनता का पोषक अब ऐसा समाज बना के दिखाएँ सृजनगीत […]

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रमुआ से अब राम बना दो

एक विनती तो है ये भगवन मेरी प्रार्थना स्वीकार करा दो पैरवी पैगाम जैसे हो लेकिन रमुआ से अब राम बना दो। चाह नहीं मैं हलुआ पूरी मुर्ग मुसल्लम खाकर सोऊँ पर माँड़ भात साग से हरदिन मेरे पेट की आग बुझा दो। चाह नहीं कि सूट टाई से सजकर घर से बाहर जाऊँ पर […]

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प्रकृति का रक्षक-कोरोना

बाग में घूमते हुए मिल गए कोरोना जी छोटे से ठिगने से एक किनारे चुपचाप दुबके हुए कौतूहलवश पूछ बैठा हे विश्व सम्राट तुम तो विचित्र हो अदृश्य हो अविनाशी हो सर्वद्रष्टा हो सर्वव्यापी हो सर्वशक्तिमान हो पर पता नहीं तुम हो कौन चुपचाप दुबके बैठे हो कुछ तो बताओ तुम कौन हो, कैसे हो […]

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घर वापसी

पूरे जीवन की सम्पत्ति को बोरे में बाँधकर अपनी इच्छा अरमानों की बलि चढ़ाते हुए दूध मुंहे बच्चे को गोद में लेकर पत्नी के साथ एक श्रमिक ने घर वापसी के लिये राज मार्ग पर जैसे ही अपने पाँव आगे बढ़ाए

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