My Poem

बिहार की आवाज़

बिहार की आवाज़ आइए, हवा का रुख बदल दें कल ट्रेन भर - भर कर जाती थीं आज ट्रेन भर ...
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चर्मकार

हम चर्मकार हैं , दुनिया का दुःख दर्द मिटाते रहते हैं।                    ...
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सृजनवादी गीत

हम शिक्षु हैं सृजनवाद के हमें सदा ही बढ़ना है नई सोच और नई दिशाएँ हर दिन नित पल गढ़ना ...
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सूर्य को अर्घ्य

- चार दिनों के कठोर तप के बाद गंगा के पानी में खड़ा होकर माँ ने छठ घाट पर सबको ...
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सृजनगीत गाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ नव वर्ष में हम सृजनगीत गाएँ । हर क्षण नया हो हर पल नया हो सब ...
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रमुआ से अब राम बना दो

एक विनती तो है ये भगवन मेरी प्रार्थना स्वीकार करा दो पैरवी पैगाम जैसे हो लेकिन रमुआ से अब राम ...
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प्रकृति का रक्षक-कोरोना

बाग में घूमते हुए मिल गए कोरोना जी छोटे से ठिगने से एक किनारे चुपचाप दुबके हुए कौतूहलवश पूछ बैठा ...
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घर वापसी

पूरे जीवन की सम्पत्ति को बोरे में बाँधकर अपनी इच्छा अरमानों की बलि चढ़ाते हुए दूध मुंहे बच्चे को गोद ...
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