हम शिक्षु हैं सृजनवाद के हमें सदा ही बढ़ना है
नई सोच और नई दिशाएँ हर दिन नित पल गढ़ना है
देख के चीजें आस-पास की, हम इसकी पहचान करें
क्या होता है, कैसे क्या हो, इसका हम अनुमान करें।
उत्तर देते आये अब तक , प्रश्न हमें अब करना है।
हम शिक्षु ————————————————–
कण-कण में जो राज छिपा है इसका तो हम ज्ञान करें
नई कल्पना, नये प्रयोगों का हम स्वतः प्रमाण करें।
पाठों को हम रटना छोड़ें, स्वाध्याय अब करना है।
हम शिक्षु ————————————————————
इन्द्रियों पर संयम रखकर मन को हम एकाग्र करें
सत्य अहिंसा का पालन कर अपना आत्म-विकास करें
पुस्तक से आगे बढ़कर अब, योग साधना करना है।
हम शिक्षु ————————————————————
धर्म-जाति का भेद भुलाकर कर्मों का सम्मान करें
शान्ति-प्रेम का वाहक बनकर जन-जन का कल्याण करें।
समता के तो हम हैं साधक, नया विश्व अब रचना है।
हम शिक्षु ——————————————————————-
* स्कूल ऑफ क्रिएटिव लर्निग एवं अन्य सृजनवादी केन्द्रों पर नियमित रूप से गाए जाने वाला मेरे द्वारा लिखित गीत।