सृजनगीत गाएँ

सृजनगीत गाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ

नव वर्ष में हम सृजनगीत गाएँ ।

हर क्षण नया हो हर पल नया हो

सब कोई यहाँ तो सृजन कर रहा हो

सृजन की तो ऐसी धारा बहाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

हरेक व्यक्ति शिक्षु हरेक व्यक्ति शिक्षक

लर्निंग समाज सृजनता का पोषक

अब ऐसा समाज बना के दिखाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ

हरेक हो पूजित हरेक श्रम सम्मानित

न कोई भूखा न कोई हो शोषित

समानता की ऐसी बहार चलाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

न जाति का झगड़ा न धर्मों का रगड़ा

हर जगह हो केवल शांति का पहरा

राजनीति की ऐसी तो गंगा बहाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

हरेक जीव पूरक हरेक है सहयोगी

आजादी हरेक के लिए है उपयोगी

ऐसी आजादी सबको दिलाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

व्यक्ति से ज्यादा समूह जरूरी

स्पर्द्धा से ज्यादा सहयोग जरूरी

संबंधों की ऐसी तो दुनिया बनाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

जीवन का धरती से गहरा है नाता

सृजन ही धरती को स्वर्ग बनाता

धरती पर स्वर्ग ले के तो आएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

पृथ्वी तो है सब जीवों की थाती

इससे ही बचेगा जीवन मेरे साथी

पृथ्वी को कल से बेहतर बनाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

हर मन का अंधेरा भाग गया हो

हर हृदय में एक दीप जला हो

सृजन की दुनिया बनाके दिखाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

सृजन से ही है आनन्दों का नाता

सृजन ही मानव को मानव बनाता

चलो आज मानव को मानव बनाएँ

सृजनगीत गाएँ सृजनगीत गाएँ।

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