प्रकृति का रक्षक-कोरोना

प्रकृति का रक्षक-कोरोना

बाग में घूमते हुए मिल गए कोरोना जी

छोटे से ठिगने से

एक किनारे चुपचाप दुबके हुए

कौतूहलवश पूछ बैठा

हे विश्व सम्राट

तुम तो विचित्र हो

अदृश्य हो

अविनाशी हो

सर्वद्रष्टा हो

सर्वव्यापी हो

सर्वशक्तिमान हो

पर पता नहीं तुम हो कौन

चुपचाप दुबके बैठे हो

कुछ तो बताओ

तुम कौन हो, कैसे हो

तुम्हारा जन्म कैसे हुआ

किस गर्भ से जन्मे तुम

तुम एक टेस्ट ट्युब बेबी हो

या हो एक डिजाइनर बेबी

खैर जो भी हो

तुम हो एक अद्भुत कृति

लोग मानते हैं तुम्हें एक विकृति

पर तुम तो हो सृष्टि की विशिष्ट उत्पति

जो काम विश्व विजेताओं ने भी नहीं किया था

न तो सिकन्दर कर पाया था और न कर पाया था हिटलर

न गांधी के संदेशोंं ने किया था

न कर पाया किंग की पुकार

जो काम अनगिनत सम्मेलन और समझौतों ने भी नहीं किया

वह काम तुमने कर दिया सहजता से

करा दिया पूरे विश्व का लॉकडाउन

बिना हड़ताल की पुकार से या

युद्ध की ललकार से

न शस्त्र चलाया न तलवार

न अणु बम न कोई हथियार

चीन हो या जापान

अमेरिका, इटली या इरान

इंडिया स्पेन या पाकिस्तान

सबका हेड हुआ डाउन

सब का किया तुमने लॉक डाउन

तुम तो विचि़त्र हो

न ही सजीव हो

न तो निर्जीव हो

मानव तन में ही पलते हो

पर मानव का ही भक्षण करते हो

बीमार बढ़ रहे लगातार

शवों का तो लग गया अंबार
तुम तो गुरूओं के गुरू हो

डंडा के जोर पर अनुशासन सीखा गए

जीने का नया अंदाज सहज ही बता गए

दोस्त दोस्त ना रहा

भाई भाई ना रहा

हाथों से हाथ अलग हुए

होठों से होठ विलग हुए

मुख से मुख भी विमुख हुए

नज़र भी नज़र से बेनज़र हुए

महकों की महक का अहसास घटा

श्वासों का श्वास से विश्वास हटा

तन से तन की दूरी बढ़ी

सम्बंधों की हाय मजबूरी बढ़ी

देशों ने लगाया गति पर लॉक डाउन

तूने तो कर दिया सम्बंधों का ब्रेक डाउन

हे देवों के देव

तुम तो ईश्वरीय वरदान हो

या हो कोई अवतार

तुम तो पृथ्वी पुत्र हो

प्रकृति के रक्षक हो

पृथ्वी की रक्षा हेतु

ब्रह्मास्त्र लेकर आए हो

प्राकृतिक समन्वय बनाने का

जनसंख्या को नियोजित करने का

विकास को सुगति देने का

संकल्प साथ लाए हो

कल कारखाना बंद किया

चक्का सब जाम किया

पृथ्वी को आराम दिया

वायुमंडल को विश्राम दिया

मानव संयमित हुए

जीवन संतुलित हुआ

जानवर स्वछंद हुए

नदी नाले स्वच्छ हुए

तारों को रोशनी मिली

ओजोन के घाव भरे

पेड़ पौधे हरे हुए

प्रकृति प्रसन्न हुई

पृथ्वी की आँखों में चमकी नयी आशा

जीवन की गढ़ी तूने नयी परिभाषा

संयम और अनुशासन बने जीवन का आधार

मर्यादा और समन्वय ही गढ़े लोक व्यवहार

आकांक्षाओंं पर जब होगा नियंत्रण

तभी प्रकृति का हो पायेगा संरक्षण

धरती पर जबसे तुम आए कोरोना

अविरल बदल रहा है जमाना

बदलने लगा अब जीने का सलीका

चमक रहा धरती का कोना कोना

आगत संकट तो क्षण भर का है यारोंं

अगर बदलाव को अपनाया सभी ने

आगे कभी न पड़ेगा किसी को रोना

बदलाव के लिये अब शुरु है मंथन

तुम्हीं इसके कारक बनोगे कोरोना

तुम्हीं इसके कारक बनोगे कोरोना ।

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