बाग में घूमते हुए मिल गए कोरोना जी छोटे से ठिगने से एक किनारे चुपचाप दुबके हुए कौतूहलवश पूछ बैठा हे विश्व सम्राट तुम तो विचित्र हो अदृश्य हो अविनाशी हो सर्वद्रष्टा हो सर्वव्यापी हो सर्वशक्तिमान हो पर पता नहीं तुम हो कौन चुपचाप दुबके बैठे हो कुछ तो बताओ तुम कौन हो, कैसे हो […]
घर वापसी
पूरे जीवन की सम्पत्ति को बोरे में बाँधकर अपनी इच्छा अरमानों की बलि चढ़ाते हुए दूध मुंहे बच्चे को गोद में लेकर पत्नी के साथ एक श्रमिक ने घर वापसी के लिये राज मार्ग पर जैसे ही अपने पाँव आगे बढ़ाए