Tag: Corona

My Poems

प्रकृति का रक्षक-कोरोना

बाग में घूमते हुए मिल गए कोरोना जी छोटे से ठिगने से एक किनारे चुपचाप दुबके हुए कौतूहलवश पूछ बैठा हे विश्व सम्राट तुम तो विचित्र हो अदृश्य हो अविनाशी हो सर्वद्रष्टा हो सर्वव्यापी हो सर्वशक्तिमान हो पर पता नहीं तुम हो कौन चुपचाप दुबके बैठे हो कुछ तो बताओ तुम कौन हो, कैसे हो […]

My Poems Underprivileged

घर वापसी

पूरे जीवन की सम्पत्ति को बोरे में बाँधकर अपनी इच्छा अरमानों की बलि चढ़ाते हुए दूध मुंहे बच्चे को गोद में लेकर पत्नी के साथ एक श्रमिक ने घर वापसी के लिये राज मार्ग पर जैसे ही अपने पाँव आगे बढ़ाए

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