पूरे जीवन की सम्पत्ति को बोरे में बाँधकर अपनी इच्छा अरमानों की बलि चढ़ाते हुए दूध मुंहे बच्चे को गोद में लेकर पत्नी के साथ एक श्रमिक ने घर वापसी के लिये राज मार्ग पर जैसे ही अपने पाँव आगे बढ़ाए
पूरे जीवन की सम्पत्ति को बोरे में बाँधकर अपनी इच्छा अरमानों की बलि चढ़ाते हुए दूध मुंहे बच्चे को गोद में लेकर पत्नी के साथ एक श्रमिक ने घर वापसी के लिये राज मार्ग पर जैसे ही अपने पाँव आगे बढ़ाए