बिहार की आवाज़
आइए, हवा का रुख बदल दें
कल ट्रेन भर – भर कर जाती थीं
आज ट्रेन भर – भर कर आयी हैं
और कल ट्रेन भर – भर कर जाएँगी
पर उनमें अब लोग न होंगे
होंगी केवल ज्ञान की पोटरियाँ
अन्न, फल और सब्जियाँ
अंडे, वस्त्र और मछलियाँ
आइए, हवा का रुख बदल दें।
विजय प्रकाश
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आइए, हवा का रुख बदल दें
कल ट्रेन भर – भर कर जाती थीं
आज ट्रेन भर – भर कर आयी हैं
और कल ट्रेन भर – भर कर जाएँगी
पर उनमें अब लोग न होंगे
होंगी केवल ज्ञान की पोटरियाँ
अन्न, फल और सब्जियाँ
अंडे, वस्त्र और मछलियाँ
आइए, हवा का रुख बदल दें।
विजय प्रकाश
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आइए, हवा का रुख बदल दें
कल ट्रेन भर – भर कर जाती थीं
आज ट्रेन भर – भर कर आयी हैं
और कल ट्रेन भर – भर कर जाएँगी
पर उनमें अब लोग न होंगे
होंगी केवल ज्ञान की पोटरियाँ
अन्न, फल और सब्जियाँ
अंडे, वस्त्र और मछलियाँ
आइए, हवा का रुख बदल दें।
विजय प्रकाश